फिर वही लौटके आना ठहेरा,
सनमकी गलीमें जाना ठहेरा।
ईश्कमें हमें ये सौगात मिली,
मौत सिर्फ ईक बहाना ठहेरा।
काफ़िले पहोंचे मंझिलों तक,
साथ हमें भी निभाना ठहेरा।
हम भी थे फ़सानेमें सामिल,
हमें भी दिलको लगाना ठहेरा।
जहेनमें अब मुरव्वत न बाकी,
खुदको यू हीं बहेलाना ठहेरा।
सामना होगा दीनका उजालेमें,
रातको सपने सजाना ठहेरा।
“राझ”की ये दीवानगी भी देखो,
खुद रोके उनको हसाना ठहेरा।
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