लम्हा लम्हा जलनेका मौसम है,
वकतके साथ पीघलनेका मौसम है ।
तुम आओ तो खिलती है ये कलियां,
तुम जाओ तो बिखरनेका मौसम है ।
निगाहोंकी ताबेदीद हम निभायें कैसे ?
चिलमन पलकोंकी गिरानेका मौसम है ।
रातके सन्नाटेमें बोलती है खामोशी,
आहट चूडियोंकी गुनगुनानेका मौसम है ।
चुभती है लबोंपे सख्त बोसोंकी गरमाहट,
चद्दरकी सिलवटोके शरमानेका मौसम है ।
जिस्मों-जांका रिश्ता बेतकल्लुफ है "राझ",
जहेनोंपे अब दस्तक दोहरानेका मौसम है ।
वकतके साथ पीघलनेका मौसम है ।
तुम आओ तो खिलती है ये कलियां,
तुम जाओ तो बिखरनेका मौसम है ।
निगाहोंकी ताबेदीद हम निभायें कैसे ?
चिलमन पलकोंकी गिरानेका मौसम है ।
रातके सन्नाटेमें बोलती है खामोशी,
आहट चूडियोंकी गुनगुनानेका मौसम है ।
चुभती है लबोंपे सख्त बोसोंकी गरमाहट,
चद्दरकी सिलवटोके शरमानेका मौसम है ।
जिस्मों-जांका रिश्ता बेतकल्लुफ है "राझ",
जहेनोंपे अब दस्तक दोहरानेका मौसम है ।