न खुदा मिला न खुदाई मीली,
महोब्बतमे हमें तो तन्हाई मीली ।
अय खुदा तेरे जहांका निझाम कैसा है ?
ऊन्हे वफा मीली हमे रूसवाई मीली !
काफी था खूं हमारा बयाने उल्फतको,
ईसलिये कलम मीली न रोशनाई मीली ।
न तो शौहरत मीली न दौलत मीली,
जनाजेपे क्यूं आखें सब झिलमिलाई मीली ?!
संजीदा था “राझ” सिर्फ अपने ही हालपे,
जो भी मिला हालत सबकी लडखडाई मीली ।
महोब्बतमे हमें तो तन्हाई मीली ।
अय खुदा तेरे जहांका निझाम कैसा है ?
ऊन्हे वफा मीली हमे रूसवाई मीली !
काफी था खूं हमारा बयाने उल्फतको,
ईसलिये कलम मीली न रोशनाई मीली ।
न तो शौहरत मीली न दौलत मीली,
जनाजेपे क्यूं आखें सब झिलमिलाई मीली ?!
संजीदा था “राझ” सिर्फ अपने ही हालपे,
जो भी मिला हालत सबकी लडखडाई मीली ।
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