दामनपे जो ऊसने सजाये है मोती,
हो ना हो मेरे ही अश्कोंका निखार है ।
ये किसने छेडा है मेरे अरमानोको ?
मेरे जख्मोंपे आज फिरसे बहार है ।
हसीन है वो, ऊन्हें जुल्मका ईख्तियार है,
वर्ना हमें कहां महोब्बतसे ईनकार है !
ऊनकी दिल्लगी, मेरी दीवानगी ही सही,
सूना है रबको भी दीवानोसे प्यार है ।
गुजरा हुआ वक्त कहां फिरसे आता है “राझ”,
पर धडकनोमें अब भी वो ही रफतार है ।
हो ना हो मेरे ही अश्कोंका निखार है ।
ये किसने छेडा है मेरे अरमानोको ?
मेरे जख्मोंपे आज फिरसे बहार है ।
हसीन है वो, ऊन्हें जुल्मका ईख्तियार है,
वर्ना हमें कहां महोब्बतसे ईनकार है !
ऊनकी दिल्लगी, मेरी दीवानगी ही सही,
सूना है रबको भी दीवानोसे प्यार है ।
गुजरा हुआ वक्त कहां फिरसे आता है “राझ”,
पर धडकनोमें अब भी वो ही रफतार है ।
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