मीट्टीके चंद घरोंदोको सजा रख्खा है,
मैने सपनोमे एक शहर बसा रख्खा है ।
मिल गया था सूनहरी पथ्थर कहींसे,
काबे सा सजाकर नाम खुदा रख्खा है ।
महोब्बत पाक होती है कहते है सब,
ईसलिये बेवफाईका नाम वफा रख्खा है ।
ईश्ककी तौहीन और रूसवाईका डर,
ईसलिये तेरा नाम छूपा रख्खा है ।
कुछ तार तार दामन और कुछ आंसु,
दर्दे दिलका नाम हमने दवा रख्खा है ।
ईस जिस्मके जलते सहरामें दिल भी था “राझ”,
न जाने हमने ऊसे कहां छूपा रख्खा है ।
मैने सपनोमे एक शहर बसा रख्खा है ।
मिल गया था सूनहरी पथ्थर कहींसे,
काबे सा सजाकर नाम खुदा रख्खा है ।
महोब्बत पाक होती है कहते है सब,
ईसलिये बेवफाईका नाम वफा रख्खा है ।
ईश्ककी तौहीन और रूसवाईका डर,
ईसलिये तेरा नाम छूपा रख्खा है ।
कुछ तार तार दामन और कुछ आंसु,
दर्दे दिलका नाम हमने दवा रख्खा है ।
ईस जिस्मके जलते सहरामें दिल भी था “राझ”,
न जाने हमने ऊसे कहां छूपा रख्खा है ।
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