यहां कोई आशना नही मिलता,
महोब्बतका भी सिला नही मिलता ।
ईतनी शिकायते मेरे खिलाफ की,
अब कोई भी गिला नही मिलता ।
ऊनके सितमका ये अंदाज़ भी देखो,
कहते है की सिलसिला नही मिलता ।
कितने तंग है दायरे जमानेके,
आदमी से आदमी मिला; नही मिलता ।
मौतकी अदब चंद रोज़ रहती है,
फिर कोई दामन गीला नही मिलता ।
क्या पायेगा संग-दिलोकी सोबतसे “राझ”,
जहां दिलसे दिलका मुआमला नही मिलता ।
महोब्बतका भी सिला नही मिलता ।
ईतनी शिकायते मेरे खिलाफ की,
अब कोई भी गिला नही मिलता ।
ऊनके सितमका ये अंदाज़ भी देखो,
कहते है की सिलसिला नही मिलता ।
कितने तंग है दायरे जमानेके,
आदमी से आदमी मिला; नही मिलता ।
मौतकी अदब चंद रोज़ रहती है,
फिर कोई दामन गीला नही मिलता ।
क्या पायेगा संग-दिलोकी सोबतसे “राझ”,
जहां दिलसे दिलका मुआमला नही मिलता ।
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