जिंदगी चंद लब्ज़ोमें बयां होती है,
कभी तन्हा तो कभी सरेआम होती है ।
तुम्हारे मिलनेसे कम होती है रंजिशे,
तुम जाओ तो गमोंकी बरसात होती है ।
बहोतसी तमन्नायें, आरझुयें समेटे है,
पता नहीं कब तुम्हारी ईनायत होती है ?
नज़रोंसे दूर हो तुम पर दिलसे तो नहीं,
फिर भी दीदारसे तुम्हारे कायनात होती है ।
तुम खुश हो तो हसती है "राझ"की दुनिया,
उदास हो गर तुम तो कयामत होती है ।
कभी तन्हा तो कभी सरेआम होती है ।
तुम्हारे मिलनेसे कम होती है रंजिशे,
तुम जाओ तो गमोंकी बरसात होती है ।
बहोतसी तमन्नायें, आरझुयें समेटे है,
पता नहीं कब तुम्हारी ईनायत होती है ?
नज़रोंसे दूर हो तुम पर दिलसे तो नहीं,
फिर भी दीदारसे तुम्हारे कायनात होती है ।
तुम खुश हो तो हसती है "राझ"की दुनिया,
उदास हो गर तुम तो कयामत होती है ।
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