सुस्वागतम....

दोस्तों "अभिव्यक्ति"में आपका स्वागत है. व्यवसायसे तबीब होनेसे अपने दर्दीओंके लिये दवाईयोंका परचा लिखते लिखते कब ये गझलें और कवितायें मैंने लिख डाली उसका मुझे पता ही न चला. आप जैसे सज्जन मित्र और स्नेहीजनोंके अति आग्रहवश निजानंदके लिये लिख्खी गई मेरी ये रचनायें ब्लॉगके स्वरूपमें आप समक्ष पेश करते हुए मुझे अत्याधिक हर्ष हो रहा है. मैं कोई बडा और जाना माना शायर या कवि तो नहीं हूं ईसलिये संभव है कि मेरी रचनाओमें शायद कहीं कोई त्रुटि रह गई हो. आपसे यही उम्मीद करता हूं कि ईस त्रुटिको मेरे ध्यान पर लानेकी कृपा अवश्य करें ताकि मैं ईसे सुधारके कुछ शीख पाउं. ये भी संभव है कि किसी रचनामें आपको कोई जानेमाने रचनाकारकी झलक दिखाई दे पर ये तो आप भी जानते ही है कि मेरे जैसे नवोदितोको शुरु शुरुमें प्रेरनाकी जरूरत होती ही है. आशा है कि आपको मेरी रचनायें पसंद आयेगी. आपके सुझावों, सूचनों एवम प्रोत्साहनकी मुझे हमेशा आवश्यकता रहेगी तो आप अपना प्रतिभाव देके मुझे आभारी करें. अंतमें बस ईतना ही कहूंगा कि, "एहसान मेरे दिलपे तुम्हारा है दोस्तो, ये दिल तुम्हारे प्यारका मारा है दोस्तो." अस्तु.

Friday, May 6, 2011

(20) जिंदगी....


जिंदगी चंद लब्ज़ोमें बयां होती है,
कभी तन्हा तो कभी सरेआम होती है ।
तुम्हारे मिलनेसे कम होती है रंजिशे,
तुम जाओ तो गमोंकी बरसात होती है ।
बहोतसी तमन्नायें, आरझुयें समेटे है,
पता नहीं कब तुम्हारी ईनायत होती है ?
नज़रोंसे दूर हो तुम पर दिलसे तो नहीं,
फिर भी दीदारसे तुम्हारे कायनात होती है ।
तुम खुश हो तो हसती है "राझ"की दुनिया,
उदास हो गर तुम तो कयामत होती है ।

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