तेरी आंखोसे काजल चूरा लुं तो क्या हो ?
फिर उसमें आलम बसा लुं तो क्या हो ?
तेरे होठोंसे शबनम चूरा लुं तो क्या हो ?
फिर उसपे कोई गझल बना लुं तो क्या हो ?
तेरे गेशुसे बादल चूरा लुं तो क्या हो ?
फिर उसपे आंचल सजा लुं तो क्या हो ?
तेरी सांसोसे सागर चूरा लुं तो क्या हो ?
फिर खुदको पागल बना लुं तो क्या हो ?
फिर उसमें आलम बसा लुं तो क्या हो ?
तेरे होठोंसे शबनम चूरा लुं तो क्या हो ?
फिर उसपे कोई गझल बना लुं तो क्या हो ?
तेरे गेशुसे बादल चूरा लुं तो क्या हो ?
फिर उसपे आंचल सजा लुं तो क्या हो ?
तेरी सांसोसे सागर चूरा लुं तो क्या हो ?
फिर खुदको पागल बना लुं तो क्या हो ?
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