आईनेमे अजनबी दीखाई देता हूं,
खुदको भी कभी कभी दीखाई देता हूं ।
पी ली है जबसे शराब तेरे हुस्नकी,
रातदिन शबनमी दीखाई देता हूं ।
रातभर रहा जो रींदोकी सोबतमें,
सुबहको मैं भी वली दीखाई देता हूं ।
जबसे छूआ है रेशमी दामन तेरा,
सबको मैं मखमली दीखाई देता हूं ।
दोस्तोकी खुदगर्जीसे मुस्कुराता हूं "राझ",
खुदको भी मैं मतलबी दीखाई देता हूं ।
खुदको भी कभी कभी दीखाई देता हूं ।
पी ली है जबसे शराब तेरे हुस्नकी,
रातदिन शबनमी दीखाई देता हूं ।
रातभर रहा जो रींदोकी सोबतमें,
सुबहको मैं भी वली दीखाई देता हूं ।
जबसे छूआ है रेशमी दामन तेरा,
सबको मैं मखमली दीखाई देता हूं ।
दोस्तोकी खुदगर्जीसे मुस्कुराता हूं "राझ",
खुदको भी मैं मतलबी दीखाई देता हूं ।
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